गुरुवार, 9 मार्च 2017

हिंदी...


हिंदी उमंग है, भाव में मलंग है..
एकता का सार है, विशुद्धता प्रमाण है..
हिंदी सत्संग है...

सपना हो, कहानी हो, या यादें पुरानी हो,
दुख की कोई बेला हो, या व्यक्ति अकेला हो
हर पल ये संग है.. 

जीवन के हास में और परिहास में..
घात-प्रतिघात में, आस-विश्वास में..
हिंदी सर्वांग है..

शब्द हो, बकार हो, मौन श्रृंगार हो..
अभिव्यक्ति का चाहे जो भी प्रकार हो...
हिंदी उतंग है...

गद्य है.. पद्य है.. भावों में व्यंग्य है...
देखता हूँ अब जहां, इसका अपना ही ढ़ंग है..
हिंदी नवरंग है...
#आkash

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