कुछ ख्वाब सरीखे आंखों में,
फिर समझौता रात से कैसे हो।
कुछ बातें तेरी मिश्री सी,
फिर लब पर कटुता कैसे हो।
दिनभर मन में तुम रहते हो,
हर पल ख्याल तुम्हारे आते।
फिर तुम बिन मेरे जीवन में,
धड़कन का संभलना कैसे हो।
जब बाहर-बाहर खुश रहता हूँ,
फिर अंदर उथल-पुथल कैसे हो।
मान लिया तुम्हें प्रीत की मूरत,
तुम अंतरमन में मंदिर जैसे हो।
#आkash
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