गुरुवार, 28 सितंबर 2017

कुछ ऐसे दोस्त जरूरी हैं...

कुछ ऐसे दोस्त जरूरी हैं...
अल्हड़ बातों पर व्यस्त रहे, दिन-रात चराचर मस्त रहे.
जो दौड़ पहाड़ों पर चढ़ जाए, समतल पर जो ढंगला जाए.. 
कुछ ऐसे दोस्त जरूरी हैं...

आंखों में जिनके पानी हो, खुशियां मन में धानी हों..
जो गौरव का आभास धरें, जीवन में हर्षोल्लास भरे..
कुछ ऐसे दोस्त जरूरी हैं...

जिनका आना-जाना संकट सा हो, ना आना और विकट सा हो..
मिलकर जिससे मन रम जाए, 
झगड़ें रोज भले जिससे, फिर पल में सब सुलझ जाए..
कुछ ऐसे दोस्त जरूरी हैं...

गुरुवार, 9 मार्च 2017

हिंदी...


हिंदी उमंग है, भाव में मलंग है..
एकता का सार है, विशुद्धता प्रमाण है..
हिंदी सत्संग है...

सपना हो, कहानी हो, या यादें पुरानी हो,
दुख की कोई बेला हो, या व्यक्ति अकेला हो
हर पल ये संग है.. 

जीवन के हास में और परिहास में..
घात-प्रतिघात में, आस-विश्वास में..
हिंदी सर्वांग है..

शब्द हो, बकार हो, मौन श्रृंगार हो..
अभिव्यक्ति का चाहे जो भी प्रकार हो...
हिंदी उतंग है...

गद्य है.. पद्य है.. भावों में व्यंग्य है...
देखता हूँ अब जहां, इसका अपना ही ढ़ंग है..
हिंदी नवरंग है...
#आkash

सिर्फ तुम...


कुछ ख्वाब सरीखे आंखों में, 
फिर समझौता रात से कैसे हो।
कुछ बातें तेरी मिश्री सी, 
फिर लब पर कटुता कैसे हो।

दिनभर मन में तुम रहते हो,
हर पल ख्याल तुम्हारे आते।
फिर तुम बिन मेरे जीवन में,
धड़कन का संभलना कैसे हो। 

जब बाहर-बाहर खुश रहता हूँ,
फिर अंदर उथल-पुथल कैसे हो।
मान लिया तुम्हें प्रीत की मूरत,
तुम अंतरमन में मंदिर जैसे हो।
#आkash

Pages