अंबर की ये ऊंचाई, धरती की ये गहराई,
तेरे नाम में है समाई, ओ माई...
तेरा मन अमृत का प्याला, यही काबा यही शिवाला
तेरी ममता पावन दाई, ओ माई...
तेरे साथ रहूं मैं बन के तेरा,
तेरे हाथ न आऊ, छुप-छुप जाऊं
यूं खेलूं आंख मिचौली
परियों का कहानी सुना के,
कोई मीठी लोरी गा के,
कर दे सुखदाई, ओ माई...
संसार के ताने-बाने से घबराता है मन मेरा,
इन झुठे रिश्ते नातो में बस प्यार है सच्चा तेरा,
सब दुख सुख में ढ़ल जाये,
तेरी बाहें जो मिल जायें,
मिल जाये मुझे खुदाई, ओ माई...
फिर कोई शरारत हो मुझसे,
नाराज करूं फिर तुझको,
फिर गाल पे थप्पड़ मार के तू,
सीने से लगा ले मुझको,
बचपन की प्यास बुझा दे,
अपने हाथों से खिला दे,
पल्लू से बंधी मीठाई, ओ माई...
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शनिवार, 14 जनवरी 2012
मुझमें नहीं...
चेहरे बदलने का हुनर मुझमें नहीं ,
दर्द दिल में हो तो हसँने का हुनर मुझमें नहीं।
मैं तो आईना हूँ तुझसे तुझ जैसी ही बात करूं,
टूट कर सँवरने का हुनर मुझमें नहीं।
चलते-चलते थम जाने का हुनर मुझमें नहीं,
एक बार मिल के बिछड़ जाने का हुनर मुझमें नहीं।
मैं तो दरिया हूँ, बहता ही रहा सदा,
तूफानों से डर जाने का हुनर मुझमें नहीं।।
दर्द दिल में हो तो हसँने का हुनर मुझमें नहीं।
मैं तो आईना हूँ तुझसे तुझ जैसी ही बात करूं,
टूट कर सँवरने का हुनर मुझमें नहीं।
चलते-चलते थम जाने का हुनर मुझमें नहीं,
एक बार मिल के बिछड़ जाने का हुनर मुझमें नहीं।
मैं तो दरिया हूँ, बहता ही रहा सदा,
तूफानों से डर जाने का हुनर मुझमें नहीं।।
रविवार, 1 जनवरी 2012
फिर याद आये तुम...
मैं लफ्जों में कुछ भी इजहार नहीं करता,
इसका मतलब ये नहीं कि मैं प्यार नहीं करता।
चाहता हूँ मैं तुझे आज भी पर,
तेरी सोच में वक्त अपना बरबाद नहीं करता।
तमाशा ना बन जाये कहीं ये मेरी मोहब्बत,
इस लिए अपने दर्द को नामोदार नहीं करता।
जो कुछ मिला है उसी में खुश हूँ मैं,
तेरे लिए खुदा से तकरार नहीं करता।
पर कोई तो बात है तेरी फितरत में जालिम,
वरना मैं तुझे चाहने की गलती बार-बार नहीं करता।।
इसका मतलब ये नहीं कि मैं प्यार नहीं करता।
चाहता हूँ मैं तुझे आज भी पर,
तेरी सोच में वक्त अपना बरबाद नहीं करता।
तमाशा ना बन जाये कहीं ये मेरी मोहब्बत,
इस लिए अपने दर्द को नामोदार नहीं करता।
जो कुछ मिला है उसी में खुश हूँ मैं,
तेरे लिए खुदा से तकरार नहीं करता।
पर कोई तो बात है तेरी फितरत में जालिम,
वरना मैं तुझे चाहने की गलती बार-बार नहीं करता।।
उदासी
चुप चुप रहना कुछ न कहना,
ये भी एक उदासी है।
हंस के सारे सदमे सहना,
ये भी एक उदासी है।
बैठे-बैठे खो जाना यूं ही,
दूर खयालों में।
चलते-चलते हँसते रहना,
ये भी एक उदासी है।
दिल की बातें सुन कर हँसना,
ये तो सब की आदत है।
ग़म की बात पे हँसते रहना,
ये भी एक उदासी है।
ये भी एक उदासी है।
हंस के सारे सदमे सहना,
ये भी एक उदासी है।
बैठे-बैठे खो जाना यूं ही,
दूर खयालों में।
चलते-चलते हँसते रहना,
ये भी एक उदासी है।
दिल की बातें सुन कर हँसना,
ये तो सब की आदत है।
ग़म की बात पे हँसते रहना,
ये भी एक उदासी है।
यूं चले दौर यारी के...
ये यारो की महेफिल.... सितारों की संगत ।
पता क्या था मिलेगी हमको रौनक-ए-रंगत ।।
यूं चले दौर यारी के.. हुई सब की सोहबत ।
कुछ अनजाने.. अन-सुलझे चेहरों की उल्फत ।।
यहां किसको समझे... यहां किसको जाने ।
जहां देखता हूँ... सभी में अपनी ही सूरत ।।
न कोई पराया.. रहा हमसे बेगाना अब तो ।
सभी में मिल गये सब अपने ही सब तो ।।
धड़कते हुए दिल से आवाज़ देना ।
तड़पे जो कभी तब सहारा तुम देना ।।
न इल्जाम, न तोहमत, न शिकवा किसी से ।
करेंगे महोब्बत अब हम तो सभी से...।।
पता क्या था मिलेगी हमको रौनक-ए-रंगत ।।
यूं चले दौर यारी के.. हुई सब की सोहबत ।
कुछ अनजाने.. अन-सुलझे चेहरों की उल्फत ।।
यहां किसको समझे... यहां किसको जाने ।
जहां देखता हूँ... सभी में अपनी ही सूरत ।।
न कोई पराया.. रहा हमसे बेगाना अब तो ।
सभी में मिल गये सब अपने ही सब तो ।।
धड़कते हुए दिल से आवाज़ देना ।
तड़पे जो कभी तब सहारा तुम देना ।।
न इल्जाम, न तोहमत, न शिकवा किसी से ।
करेंगे महोब्बत अब हम तो सभी से...।।
आदत ही बना ली है...
"आदत ही बना ली है, इस शहर के लोगों ने,
अंदाज बदल लेना, आवाज बदल लेना,
दुनिया की मोहब्बत में, अतवार बदल लेना,
मौसम जो नया आये, रफ्तार बदल लेना,
अल्फाज वहीं रखना, इस्तहार बदल लेना,
आदत ही बना ली है, इस शहर के लोगों ने।
रास्ते में अगर मिलना, नजर को झुका लेना,
आवाज अगर दो तो, कतरा कर निकल जाना,
हर एक से जुदा रहना, हर एक से खफा रहना,
हर एक ने गिला करना...
जाते हुए राही को, मंजिल का पता देकर,
रस्ते में रुला देना...।
आदत ही बना ली है, इस शहर के लोगों ने।"
अंदाज बदल लेना, आवाज बदल लेना,
दुनिया की मोहब्बत में, अतवार बदल लेना,
मौसम जो नया आये, रफ्तार बदल लेना,
अल्फाज वहीं रखना, इस्तहार बदल लेना,
आदत ही बना ली है, इस शहर के लोगों ने।
रास्ते में अगर मिलना, नजर को झुका लेना,
आवाज अगर दो तो, कतरा कर निकल जाना,
हर एक से जुदा रहना, हर एक से खफा रहना,
हर एक ने गिला करना...
जाते हुए राही को, मंजिल का पता देकर,
रस्ते में रुला देना...।
आदत ही बना ली है, इस शहर के लोगों ने।"
नये वर्ष में नई प्रेरणा
"नव जीवन का नव प्रभात नव वर्ष लेकर आया है ।
नयी उमंग, नयी आशा से, हममें जोश नया अब आया है ।।
बीता हुआ वर्ष कुछ अच्छा भी था, कुछ ने हमें रुलाया है ।
मिला परिणाम हमें जो गत् वर्ष, हमारे परिश्रम की परिछाया है ।।
हर गलती हमें सिखाती है, हर जीत जोश भर जाती है ।
हर पल आगे बढ़ते रहना, प्रकृति यह पाठ पढ़ाती है ।।
जो कल था उसका चिंता न कर, हमें आज को संवारना है ।
भूलकर अब हर बातें, अपना हर संकल्प निभाना है ।।
खुशियां बांटना और खुशियां पाना, जीवन का सही स्पनदन है ।
सही दिशा में सार्थक सोच से, करना नव वर्ष का अभिनंदन है ।।"
नयी उमंग, नयी आशा से, हममें जोश नया अब आया है ।।
बीता हुआ वर्ष कुछ अच्छा भी था, कुछ ने हमें रुलाया है ।
मिला परिणाम हमें जो गत् वर्ष, हमारे परिश्रम की परिछाया है ।।
हर गलती हमें सिखाती है, हर जीत जोश भर जाती है ।
हर पल आगे बढ़ते रहना, प्रकृति यह पाठ पढ़ाती है ।।
जो कल था उसका चिंता न कर, हमें आज को संवारना है ।
भूलकर अब हर बातें, अपना हर संकल्प निभाना है ।।
खुशियां बांटना और खुशियां पाना, जीवन का सही स्पनदन है ।
सही दिशा में सार्थक सोच से, करना नव वर्ष का अभिनंदन है ।।"
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