रविवार, 4 सितंबर 2011

शिक्षक दिवस : शिक्षक देश का सबसे फर्टाइल ब्रेन....

ज्ञान की गंगा बहाने वाले गुरू को शास्त्रों में परमब्रह्म कहा गया है। संत कबीर ने गुरू की महिमा का बखान करते हुए कहा है, "गुरू गोविंद दोऊ ख़डे काके लागू पाय, बलिहारी गुरू आपने गोविंद दियो बताय।" गुरू हमेशा से सम्मान के पात्र रहे हैं। आधुनिक भारत में गुरूओं को सम्मान देने के लिए विशेष दिवस चुना गया है- शिक्षक दिवस। डाँ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने कहा था कि शिक्षक देश का सबसे (फर्टाइल ब्रेन) बुद्धिजीवी वर्ग होता है, जो देश के सुंदर भविष्य की कल्पना को साकार रुप देने हेतु ज्ञान की मजबूत नींव रखता है।

छात्रों के लिए शिक्षकों के प्रति सम्मान प्रकट करने का यह सुनहरा मौका होता है। छात्र शिक्षकों को उपहार भेंट करते हैं, ग्रीटिंग कार्ड के जरिए बधाई संदेश देते हैं और उनके सम्मान में कविताएं और गीत सुनाते हैं। यह दिवस हर साल आता है और छात्रों के लिए भी विशेष बन जाता है। इस दिन छात्र शिक्षक बन जाते हैं और शिक्षक छात्र बनकर शिष्यों की बातों को गौर से सुनते हैं। इस तरह वे अपने उन दिनों की स्मृतियों को ताजा करते हैं जब वे स्वयं छात्र हुआ करते थे। शिक्षक दिवस यानी पांच सितम्बर को शिक्षकों को छात्रों के जरिए रोचक अनुभवों से गुजरने का अवसर मिलता है। शिक्षक दिवस वैसे तो पूरे विश्व में मनाया जाता है लेकिन अलग-अलग तिथियों को। भारत में यह दिवस पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस पांच सितम्बर को मनाया जाता है।

देश में शिक्षक दिवस मनाने की परम्परा तब शुरू हुई जब डॉ. राधाकृष्णन 1962 में राष्ट्रपति बने और उनके छात्रों एवं मित्रों ने उनका जन्मदिन मनाने की उनसे अनुमति मांगी। स्वयं 40 वर्षो तक शिक्षण कार्य कर चुके श्री राधाकृष्णन ने कहा कि "अनुमति तभी मिलेगी जब केवल मेरा जन्मदिन मनाने के बजाय देशभर के शिक्षकों का दिवस आयोजित करें।" इसके बाद से प्रत्येक वर्ष शिक्षक दिवस मनाया जाने लगा। डॉ. राधाकृष्णन का जन्म पांच सितम्बर 1888 को मद्रास (चेन्नई) के तिरूत्तानी कस्बे में हुआ था। उनके पिता वीरा समय्या एक जमींदारी में तहसीलदार थे। उनका बचपन एवं किशोरावस्था तिरूत्तानी और तिरूपति (आंध्र प्रदेश) में बीता। उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से एम.. की पढ़ाई पूरी की तथा "वेदांत के नीतिशास्त्र" पर शोधपत्र प्रस्तुत कर पी.एचडी. की उपाधि हासिल की।

शिक्षण कार्यो में बेहतर भविष्य के साथ डाक्टर साहब मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज के दर्शनशास्त्र विभाग में 1909 में व्याख्याता नियुक्त किए गए। जिसके पश्चात् 1918 में मैसूर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर बने। लंदन के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में वह 1936 से 39 तक पूर्व देशीय धर्म एवं नीतिशास्त्र के प्रोफेसर रहे। राधाकृष्णन 1939 से 48 तक बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति भी रहे। वर्ष 1946 से 52 तक राधाकृष्णन को यूनेस्को के प्रतिनिधिमंडल के नेतृत्व का अवसर मिला। वह रूस में 1949 से 52 तक भारत के राजदूत रहे। 1952 में ही उन्हें भारत का उपराष्ट्रपति चुना गया। मई 1962 से मई 1967 तक उन्होंने राष्ट्रपति पद को सुशोभित किया। राधाकृष्णन ने कहा था, "शिक्षकों को देश का मार्गदर्शक होना चाहिए।" शिक्षक दिवस शिक्षकों के लिए गर्व का दिन होता है। इस दिन छात्र अपने गुरूओं के मनोरंजन के लिए नृत्य एवं नाटक प्रस्तुत करते हैं। कहीं-कहीं छात्र शिक्षकों की वेशभूषा में अपने स्कूल या कॉलेज जाते हैं और अध्यापक की भूमिका अदा करते हैं।

शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य पर इस प्रकार के कार्यक्रमों के आयोजनों से शिक्षकों का मनोरंजन तो होता ही है, वे अतीत के सुनहरे पलों को फिर से जी पाते हैं। डाँ. राधाकृष्णन का मानना था, "शिक्षक देश का सबसे (फर्टाइल ब्रेन) बुद्धिजीवी वर्ग होता है।' उनका कहना था कि शिक्षक का मतलब केवल छात्रों से सम्मान अर्जित करना नहीं है बल्कि छात्र को इस लायक बनाना है कि वह जीवन के हर क्षेत्र में लक्ष्य हासिल करने के बाद हमें याद करें।

शिक्षक दिवस विभिन्न देशों में अलग-अलग तिथि को मनाया जाता है। प़डो़सी देश पाकिस्तान और रूस में 05 अक्टूबर, चीन में 10 सितम्बर, अमेरिका में 06 मई, ईरान में 02 मई, सीरिया, मिस्त्र, लीबिया और मोरक्कों में 28 फरवरी, थाईलैंड में 16 जनवरी, इंडोनेशिया में 25 नवम्बर तथा दुनिया के अधिकांश देशों में पांच अक्टूबर को शिक्षक दिवस मनाने की परम्परा है।

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